Chhattisgarh

बसावट के लिए चढ़ाई जा रही दशकों पुराने बांस बाड़ी की बलि, ग्रामीणों ने कहा अगर जमीन एसईसीएल की तो अधिग्रहण के दस्तावेज क्यों नही दिखाती…

बसावट के लिए चढ़ाई जा रही दशकों पुराने बांस बाड़ी की बलि,ग्रामीणों ने कहा अगर जमीन एस ई सी एल की तो पेपर दिखाए… देखें वीडियो…..

कोरबा – खदान विस्तार के लिए जमीन चहिए,जमीन किसी भी कीमत पर इसके लिए चाहे क्यों ना जंगल उजाड़ने पड़े,दशकों पुराने हरे भरे पेड़ों को काटने पड़े। बात हो रही है जिले के कुसमुंडा क्षेत्र की, यहां खदान विस्तार करने जमीन की जरूरत कितनी जरूरी है यह बात प्रबंधन के अधिकारियों को हाल फिलहाल में ही समझ आई है। खदान के मुहाने लोगों के घरों तक पहुंच चुका है ऐसे में खदान आगे बढ़ाने लोगों को विस्थापित करने का प्रयास तेजी से हो रहा है। इतनी तेजी की खदान के डोजर गांवों में घुस रहे है,जहां थोड़ी जमीन दिख रहे उस पर कब्जा कर उसे समतल किया जा रहा है,चाहे उस जमीन पर दशकों पुराने पेड़ ही क्यों ना हो। ताजा मामला कुसमुंडा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम वैशाली नगर खमरिया का है,जहां लगें लगभग ४० वर्षो से अधिक अवधि के विशाल बांस बाड़ी को उजाड़ कर बसावट देने की तैयारी की जा रही है। भारी भरकम मशीन एक झटके में बांस के विशाल काय पेड़ों को उखाड़ फेंक रहे हैं। हमने वन विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारियों से इस स्थान पर बांस बाड़ी को उजाड़ने अनुमति की बात पूछी जिस पर कोई स्पष्ट जवाब नही मिला। इधर खमरिया के ग्रामीणों में बांस बाड़ी के उजाड़ने को लेकर काफी आक्रोश है। उनका कहना है की यह गौचर भूमि है, हमारे मवेशी यहां चरते है,साथ ही बांस बाड़ी की वजह से सड़क और कोयला साइडिंग की धूल डस्ट से भी राहत थी,अब प्रदूषण सीधे हमारे गांव में प्रवेश करेगी। कुसमुंडा प्रबंधन ने अगर यहां जमीन अधिग्रहण किया है तो जमीन अधिग्रहण करने के दस्तावेज क्यों नही दिखाती। आपको बता दें बीते कुछ वर्षों पूर्व बांस बाड़ी के आसपास हुए बेजा कब्जे की खबर लगातार मीडिया में प्रकाशित होती रही है बावजूद इसके उस वक्त के प्रबंधन के अधिकारियों ने इस ओर कोई ध्यान नही दिया अब जब कई लोग यहां पक्के मकान बना लिए है तो उन्हें तोड़ने की बात हो रही है। दूसरी तरफ कई स्थानों पर प्रबंधन द्वारा ध्यान नही देने की वजह से बेजाकब्जा की बाढ़ आ गई है,जिस वजह से बसावट देने में प्रबंधन के पसीने छूट रहें हैं। ग्राम खमरिया में एक ओर जहां प्रशासनिक दखल के बाद एक बड़े भूभाग पर खेतों को समतल कर लिया गया है बावजूद इसके यहां बसावट की प्रक्रिया शुरू नही हुई है। वहीं अब दूसरी तरफ हरे भरे बांस बाड़ी को भी उजाडा जा रहा है जिससे यहां के ग्रामीणों में काफी आक्रोश है।

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